(तर्ज : एक तेरा साथ...) 

 

ले गुरु का नाम, बंदे ये ही तो सहारा है, 

ये जग का पालन हारा है।। 

 

                        ॥ अन्तरा।। 

 

तारीफ क्या करूँ, इन दीन दाता की, दयालु नाम है-२ 

दीन दुःखियों के दामन को भर देना, गुरु का काम है। 

ओ ओऽऽऽ लाखों की तकदीर-२ इस मालिक ने संभाला है। 

                                      ये जग का पालन हारा है।।१।। 

 

व्यर्थ है काया, धोखे की है माया, गुरु से पहचान कर २ 

कौन है तेरा, क्या साथ जायेगा, गुरु का ध्यान धर। 

ओ ओऽऽऽ बंदे तू नादान-२ क्यों गुरु को बिसारा है।। 

                                     ये जग का पालन हारा है।।२।। 

 

क्या भरोसा है, इस जिन्दगानी का, गुरू को याद कर २ 

क्या सोचता है रे, अनमोल जीवन को, न यूं बरबाद कर 

ओ ओऽऽऽ सौंप दे पतवार-२ फिर तो पास ही किनारा है।। 

                                      ये जग का पालन हारा है।।३।।