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सुख शांति की पुरवईया चले

सुख शांति की पुरवईया चले।
घर-घर में मंगल दीप जले॥ 
शुभ भावनायें ये फूले फले।
घर-घर में मंगल दीप जले॥

हो प्रभु कृपा सन्मार्ग मिले ऽऽऽ २ 
अहंकार क्रोध सब दूर भगे, 
जीवन में संयम फूल खिले 
घर-घर में मंगल दीप जले.... ॥१॥ 

पर दुःख में करुणा धार बहे,2 
अपने दुःख को चुपचाप सहे
सब संकट अपने आप टले 
घर-घर में मंगल दीप जले.... ॥२॥ 

इस जग में चैन की बंसी बजे,
जीवन सदगुण मणियों से सजे,
बन 'विचक्षण' हम प्रभु राह चले
घर-घर में मंगल दीप जले.... ॥३॥

- Stavan Manjari

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