(तर्ज- शमां से कोई कह दे (जय भवानी) 

प्रभु से कोई कह दे, कि तेरे रहते-रहते 
अंधेरा हो रहा, कि तुम हो वहां, तो मिलने को यहाँ 
कि भक्त गा रहा-प्रभु से 

फंसा हूं में कर्मों से, 
मुझे जिन जी बचा लेना-2 
कहां हो तुम मेरे स्वामी, 
मुझे इक राह बता देना 
कहाँ हो प्रभु जी
दरस तो दिखाओं ॥1॥ 
अंधेरा हो रहा 

जो दीपक तेरी ज्योति हैं 
वो कब तूफा से डरता है 2 
जिसे तेरा सहारा है
उसे तूने संभाला है
अजब तेरी माया 
न जाने दुनिया वाले ॥2॥ 
अंधेरा हो रहा