आव्यो शरणे तमारा जिनवर करजो आश पूरी अमारी 

नाव्यो भवपार मारो तुम विण जगमां सार ले कोण मारी 

गायो जिनराज आजे हरख अधिकथी परम आनंदकारी 

पायो तुम दर्श नासे भव-भय-भ्रमणा नाथ सर्वे अमारी

 

छे प्रतिमा मनोहारिणी, दुः खहरी श्री वीर जिणंदनी 

भक्तोने छे सर्वदा सुखकरी, जाणे खीली चांदनी 

आ प्रतिमाना गुण भाव धरीने, जे माणसो गाय छे 

पामी सघळा सुख ते जगतनां, मुक्ति भणी जाय छे

 

अंतरना एक कोडियामां दीप बळे छे झांखो 

जीवनना ज्योतिर्धर, एने निशदिन जलतो राखो 

ऊंचे ऊंचे ऊडवा काजे, प्राण चाहे छे पांखो 

तमने ओळखवा नाथ निरंजन, एवी आपो आंखो

 

हुं क्यांथी आव्यो क्यां जवानो, तेनी पण मने खबर नथी 

तो पण प्रभु लंपट बनी, हुं क्षणिक सुख छोडुं नही 

सुदेव सुगुरू सुधर्म स्थानो, मळ्या पण साध्या नहि 

शुं थशे प्रभु माहरुं, मानवभव चूक्यो सही