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पंथी गीत
पंथी गीत

चलौ मन मोरा हो, चलौ मन मोरा 
दादा गुरु के शरणा हो, चलौ मन मोरा 
बंदौ गुरु के चरणा हो, चलौ मन मोरा
भरम तजि चरणा हो, चलौ मन मोरा 

 

स्वतंत्र चाल

मेरा आपकी दया से, हर काम हो रहा है। 
करते हो तुम गुरुवर, मेरा नाम हो रहा है। 
मेरी जिंदगी में तुम हो, मेरे पास क्या कमी है। 
मुझे और अब किसी की दरकार भी नहीं है। 

थोड़ासा प्यार हुआ है

आसरा एक तेरा, एक तेरा सहारा 
सुनले फरियाद मेरी, मैंने तुमको पुकारा। 
जख्म जग ने दिया है, घाव किसको दिखाऊं। 
कोई अपना नहीं है, हाल किसको सुनाऊं। 

रात गुरु सपनें में आये

रात गुरु सपने में आये 
अखियाँ खुल गयी खुल गयी अखियाँ 
जिभर पहले दरस किया मैंने 
चरणों का अमृत रस पिया मैंने 

तुझे सूरज कहूं या चंदा

जब तक सांसे चलती है, गुरुवर की महिमा गाऊँ।
सपने में गुरु को देखूँ, जागूं तो दर्शन पाऊँ।
जब माया मोह में उलझा, मन ने मुझको भटकाया। 
गुरूदेव ने हाथ पकड़कर, मुझे सत्य का पथ दिखाया। 

अगर तुम मिल

अगर गुरु मिल जाये, हृदय को खोल देंगे हम, 
पाप जितने किये गुरुवर के, सम्मुख बोले देंगे हम 
किसी का ना बुरा सोचूँ, प्रतिज्ञा आज करता हूँ, 
किसी का ना बुरा बोलूँ, ये चिन्तन आज धरता 

मेरी लागी गुरु संग प्रीत...

मेरा कस के पकड़ लो हाथ, छुड़ाऊं तो छुड़ाया नहीं जाये।। 
जब तक है जीवन मुझसे (दादा) गुरुवर न बदले। 
बदलने से पहले गुरुवर, मेरे प्राण निकले। 
मेरे सर पर रख दो हाथ, हटाऊँ तो हटाया नहीं जाए ||1|| 

लाल दुपट्टा उड़ रहा है

रोज तेरी तस्वीर सिरहाने रखकर सोते हैं। 
यही सोचकर अपने दोनों नैन भिगोते हैं। 
कभी तो तस्वीर से निकलोगे, कभी तो मेरे दादा पिघलोगे।। 
अपनापन हो आँखों में, होंठो पे मुस्कान हो। 

बाबुल की दुआएं

गुरूराज तुम्हारे चरणों में, जीवन को थोड़ा प्यार मिले। 
मैं भूल सकूं दुनिया सारी, तेरा प्यार मुझे किरतार मिले। 
यह जीवन का उपवन मेरा, वीरान हुआ मुरझा करके। 
पीड़ा की धूप में जल जल के, दिल सुख गया कुम्हला करके।

चाँदी जैसा रंग
चाँदी जैसा रंग

गुरू भक्ति का रंग निराला, भक्ति रंग कमाल 
एक घड़ी रंग जाय, जो भी, तारे दीन दयाल ... टेर।।                 
जिस पर उनकी महर नजर हो, मन इच्छित फल पाय। 
इस दरबार में आने वाला, खाली हाथ न जाय।