गुरुदेव ! तुम्हे नमस्कार बार बार हैं
श्रीचरण शरण से हुआ, जीवन सुधार है ।।गुरुदेव।।
अज्ञान - तम हटाके ज्ञान ज्योति जगा दी
दृढ आत्मज्ञान में अखण्ड दृष्टी लगा दी
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निश दिन सुमरो रे नवपद माला
कर्म का टूटे पल में ताला ॥ धू ॥
सुमिरन इस जीवन में दुख हर लेगा।
इक दिन चौरसी का सुख हर लेगा
करले - करले रे दर्शनिया पाश्र्वं प्रभु की
तोरे कमों की बंधनिया, टूटे रे बावरीया २
पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्यारी माता वामादेवी २
अश्वसेन के राजदुलारें जनम्या वाराणसी ॥१॥
वंदन हो, वंदन हो,
मंगलमय महावीर! वंदन हो…
त्रिशला नंदन, भवभय भंजन, पाप निकंदन हो। वंदन हो।
वंदन हो जग बंधन तोड्यां, भवोभव केरा फंदन फोड्यां
देखे है मैंने लाख बिछौने नरमी के
एक से एक बढ़कर,
सुलभ न हुआ कोई बिस्तर मेरी माँ
की गोद से बढ़कर
यह पर्व पर्यूषण जैनों का, अलबेलों का मस्तानों का,
इस धर्म का यारों २ क्या कहना, यह धर्म है जैनो का गहना,
हो हो ऽऽऽऽ हो ऽऽऽऽ
यहाँ होती अठाई घर घर में, नित होती पूजा मंदिर में
अब हम जाते हैं घर, झुकाकर सर
ओ दादा प्यारा, आशिष का करों इशारा ॥
दिल तो जाने को नहीं करता, पर गये बिना भी नहीं चलता,
अब करूं तो कौन उपाय नहीं कोई चारा, आशिष का करो इशारा
इतनी शक्ति हमें देना गुरुवर,
मन का विश्वास कमजोर हो ना,
हम चले नेक रस्ते पे हमसे,
भुलकर भी कोई भूल हो ना।
है ये पावन भूमि, यहाँ बार-बार आना,
गुरुदेव के चरणों में, आकर के झुक जाना,
है ये पावन भूमि …
तेरे मस्तक मुकुट है, तेरी अंगिया सुहानी है
पाना नही जीवन को बदलना है साधना,
धुएं सा जीवन मौत है २ऽऽऽ, जलना है साधना,
पाना नही जीवन को…
मुंड मुंडाना बहुत सरल है, मन मुंडन आसान नहीं