दरबार गुरु के चले आना

(तर्ज - दीदी तेरा ...) 

 

खुल जायेगा किस्मत का ताला, दरबार दादा के चले आना। 

हो जायेगा तकदीर वाला, दरबार गुरु के चले आना।। 

 

|| अन्तरा || 

 

चमत्कार ऐसा, मिला न मिलेगा। 

सभी करना तन मन से, दादा की सेवा। 

कड़ी धूप कर दे, घनी छाँव कर दे। 

अजब इसकी माया, अजब इसका मेवा। 

कदमों में है इसके जमाना ||१|| 

 

अनूठा सहारा, दिया है सदा ही। 

कई रूप इसके हैं, महिमा निराली। 

है बिगड़ी बनाई, है बिगड़ी मिटाई। 

करूणा नजर इसने जिस पर डाली। 

खुशियों का लुटाये खजाना ||२|| 

 

दरस इसका पावन है जिसने पाया। 

भरी उसकी झोली, मची धूम भारी। 

शरण इसके आना, लगा है सुहाना। 

समय तेरे हाथों, तू बन जा पुजारी ।

सच्चा यही दरबार तराना ||३||