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श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र

ॐ घंटाकर्णो महावीरः सर्वव्याधि-विनाशकः।
विस्फोटक भयं प्राप्ते, रक्ष-रक्ष महाबलः ॥1॥

यत्र त्वं तिष्ठसे देव! लिखितोऽक्षर-पंक्तिभिः।
रोगास्तत्र प्रणश्यन्ति, वात पित्त कफोद्भवाः ॥2॥

तत्र राजभयं नास्ति, यान्ति कर्णे जपात्क्षयम्।
शाकिनी -भूत वेताला, राक्षसाः प्रभवन्ति नो ॥3॥

नाकाले मरणं तस्य, न च सर्पेण दृश्यते।
अग्नि चौर भयं नास्ति, नास्ति तस्य प्यरि-भयं ||४|| 

ॐ ह्वीं महावीर नमोस्तु ते ठः ठः ठः स्वाहा। 


Source - श्री घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र -21

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Comments
Guest
5/6/2025 4:21 am

शब्दोंका मतलब क्या?   जपात्क्षयम् ,
प्रणश्यत्नि।    तिष्ठसे          शान्ति  कर्णे
ठ: स्वाहा

Guest
12/6/2025 10:52 am

परम पूज्य श्री श्री श्री घंटा कर्ण  महावीर :
आप  सब नारी की रक्षा करें,करते रहे ।