सुना है आँगन,
और सुना ये मन,
गुरुवर ना जाओ,
यही कहती है धड़कन,
शीदने आवडी कीधी उतावळ, बोलो ने गुरु मा..
नेण ढळे छे आंसुने भारे, पाछा वळो गुरु मा..
गुरू मांना पगलां पड्या ने आनदं छायो
उत्तसव अनेरो आजे आंगण रे आव्यो
उपकार कर्या मुज पर, एना गुण हुं विसारुं छुं
केवो बदलो में वार्यो, हुं एज विचारुं छुं…
केवुं धन्य जीवन जीवे छे मुनिराय,
निरखुंने आंखोमां, अमृत छलकाय…