माता त्रिशला जुलावे पुत्र परणे
गावे हेलो हेलो हलरदा ना गीत
सोना रूपा ने वली रत्ने जादू परनु
रेशम डोरी घुंघरी वागे चम छम रीत
हेलो हेलो हेलो हेलो मारा नंद ने
 
जीना जी पार्श्व प्रभु थी वरस आदिसो अंतरे हो श्री चोविस्मो तीर्थंकर जिन परिमाण केशी स्वामी मुख थी एवी वाणी समाधि सच्ची सच्ची हुई ते मारी अमृतवाणी हेलो हेलो हेलो हेलो मारा नंद ने
 
चौडे सपने हो चक्री के जीना राज वत्य बरे चक्री नहीं है चक्री राज जीना जी पार्श्व प्रभु न श्री केशी गांधार तेहने वाचानो जान्या चोविस्मा जिन राज हेलो हेलो हेलो हेलो मारा नंद ने

मारी कुंखे आव्या त्रण भुवन सिरताजी मारी कुँखे आव्या तरनतारन जहाँजी मारी कुँखे आव्य संघ तीर्थ नी लाजी हू तो पुण्य पनोती इंद्राणी थाई आजू हेलो हेलो हेलो हेलो मारा नंद ने

मुझे दोहला उपन्या बेसु गज अंबादिये सिंहासन पर बेसु चमार छात्र धरय एय साहू लक्षण मुझे नंदन तारा तेज ना ते दिन संभारु ने आनंद अंग ना माई। हेलो हेलो हेलो हेलो मारा नंद ने......