ऐसी दशा हो भगवान,
ऐसी दशा हो भगवान, जब प्राण तन से निकले...
जब प्राण तन से निकले, तेरो नाम मुख से निकले..
 
गिरिराज की हो छाया, मन में न होवे माया
तप से हो शुद्ध काया, जब प्राण तन से निकले (२)
उर में न मान होवे, दिल एक तान होवे (२)
तुम चरण ध्यान होवे, जब प्राण तन से निकले।।1।। 
संसार दुःख हरण, जैन धर्म का हो सरना (२)
हो कर्म भरम करना, जब प्राण तन से निकले।।2।। 
तुम संग सिद्धवट हो, प्रभु आदिदेव घट हो (२)
गुरूदेव भी निकट हो, जब प्राण तन से निकले।।3।। 
यह दान मुझको दीजिए, इतनी दया तो कीजे- (२)
अरजी ‘तिलक' की लीजे, जब प्राण तन से निकले।।4।।