माता मरुदेवी ना नंद, माता मरुदेवी ना नंद, 
देखी ताहरी मूरति मारु, मन लोभाणुजी,
के मारुं दिल  लोभाणुजी
करुणानागर करुणासागर काया कंचन वान (2)
धोरी-लंछन पाउले कोई, धनुष पांचसें मान ||1||
त्रिगडे बेसी धर्म कहंता, सुणे पर्षदा बार (2)
योजन गामिनी वाणी मीठी, वरसंती जळधार ||2||
उर्वशी रूडी अप्सरा ने, रामा छे मनरंग (2)
पाये नेपूर रणझणे काई, करती नाटारंभ ||3||
तुंही ब्रह्मा, तुंही विधाता, तू जग-तारणहार (2)
तुज सरीखो नहि देव जगतां, अडवडिया आधार ||4||
तुंही भ्राता, तुंही त्राता, तुंही जगतनो देव (2)
सुर-नर-किन्नर-वासुदेवा, करता तुज पद सेव ||5||
श्री सिद्धाचल तीरथ केरो, राजा ऋषभ जिणंद (2)
कीर्ति करे माणेकमुनि ताहरी, टाळो भव भय फंद ||6||