तर्ज- आधा है चन्द्रमा रात आधी (नवरंग)

 

 

          स्थाई 

 

करता हूँ वन्दना मोक्षगामी 

रह न जाये कोई मेरी साध स्वामी प्रभु पार्श्व स्वामी 

करता हूँ वन्दना 

 

         अन्तरा 

 

में तो आया हूँ आस लगाके अब जाऊँगा दर्शन पाके 

मेरे प्यासे नयन कैसे होवे मगन  

विन दर्शन तेरे त्रिभुवन स्वामी 

करता हूँ वन्दना 

 

तेरे चरणों में शीश झुका के करु वन्दन तेरे गुण गाके 

तू हैं तारण- तरण मुझे बेदो शरण 

मेरे कष्ट हरो अन्तर्यामी *** 

करता हूँ वन्दना 

 

तेरे जनम जनम के पुजारी दर पे आये हैं बन के भिकारी 

प्रभु दर्श दिखा अब पार लगा 

है ये युवक मण्डल की पुकार स्वामी 

करता हूँ वन्दना

- Stavan Manjari