(तर्ज : पायलिया हो...) 

 

गुरुदेवा हो... 

गुरुदेवा-गुरुदेवा... आये हैं आये तेरे द्वार पे 

गुरुदेवा- गुरुदेवा... तेरे सहारे मेरी नाव रे 

                                   गुरुदेवा हो गुरुदेवा हो-गुरुदेवा 

जयंति मनाएं पूजा कराएं, भक्ति रचाएं, तुझको पास बुलाएं देवा हो 

                                   गुरुदेवा हो गुरुदेवा हो-गुरुदेवा 

गीत सुनाएं, सरगम गाएं, प्रीत जगाएं, तुझको पास बुलाएं देवा हो 

                            || अन्तरा।। 

 

धोलका नगरी में जन्मे, बाहड़ देवी के बाल। 

हुंबड़ कुल के है राजन् - मंत्रीश्वर के लाल।। 

जिन शासन के उजियारे, हम सबकी है जान 

ग्यारस का यह शुभ दिन हो गया महान् । 

बाहड़ के नंदन, हो चरणों में वंदन। 

तेरी शरण में आए, करते अभिनंदन ||१|| 

 

बावन वीरों को तारा, जाने है ये जहान्। 

छल न सकी जोगनिया, गुरुदेव है महान् । 

अंधों को दे दी आंखें, गूंगों को दे दी बान । 

जली नहीं वो चादर, शासन की है शान।

शासन रखवारे, होऽऽ भक्तों के  प्यारे ।

गच्छ खरतर के हो, आंखों के तारे ||२||