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जिंदगी की ना टुटे लडी ...
जिंदगी की ना टुटे लडी ...

गुरु भक्ति में शक्ति बड़ी, भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी, 
हो दादा गुरुवर के शरणों में आओ, 
भजलो दादा को तुम एक घड़ी भक्ति करलो घड़ी दो घड़ी। 
उस मानव का जीवन भी क्या, जिसने गुरुवर की भक्ति ना की। 

मेरा खरतरगच्छ श्रृंगार..
मेरा खरतरगच्छ श्रृंगार..

मेरा छोटा सा संसार, दादा आ जाओ एक बार 
दादा आ जाओ गुरु आ जाओ..... 
मेरी बीच भँवर में नैय्या है,
दादा तू ही एक खिवैय्या है।

आने से उसके आए बहार
आने से उसके आए बहार

आ आ आऽऽऽ ओऽऽऽ 
मालपुरा तेरा सच्चा है धाम, सुनके कुशल गुरु तेरा मैं नाम 
दर्शन पाने को आया दर पे तेरे 
जय श्री का लाला, अपने भक्तों को परचा दिखाए। 

स्वरचित
स्वरचित

दादा देने वाले हैं, हम लेने वाले हैं 
आज खाली हाथ नही जाना, जिसे चाहिये वो हाथ उठाना 
रोज रोज माँगने का झंझट ही छोड़ दो-२ 
जिसको जितना चाहिये वो, आज मुख से बोल दो। 

मेरे दादा का ठिकाना है
मेरे दादा का ठिकाना है

दादा तुमसे मिलने का, सत्संग ही बहाना है-२ 
दुनियाँ वाले क्या जाने, मेरा रिश्ता पुराना है-२ 
कलियों में ढूंढा तुम्हें, फूलों में पाया है होऽऽऽ-२ 
तुलसी के पत्तों में, मेरे दादा का ठिकाना है-२ 

दरबार गुरु के चले आना
दरबार गुरु के चले आना

खुल जायेगा किस्मत का ताला, दरबार दादा के चले आना। 
हो जायेगा तकदीर वाला, दरबार गुरु के चले आना।। 
चमत्कार ऐसा, मिला न मिलेगा। 
सभी करना तन मन से, दादा की सेवा। 

मिले न तुम तो जी घबराये

तेरे दर्श को जी ललचाए, देखूं तो झूमे गाये 
हमें गुरु मिल गये……. 
देहली के राजा तेरी अर्थी उठी ना माणिक चौक से 
शाही फरमान से भी हिल ना सकी हाथी के जोर से 

जिया बेकरार है
जिया बेकरार है

कुशल कुशल दातार है, भक्तों का आधार है। 
कोई निराश न जावे ऐसा, दादा का दरबार है 
कुशलसूरि गुरुदेव आपकी, कीर्ति जग विख्यात है। 
इस कलियुग में अद्भुत ज्योति, प्रकट रही साक्षात् है। 

कुशल करना.. कुशल करना..

कुशल करना कुशल करना, कुशल गुरुराज शासन में। 
तुम्हीं हो शक्तिमय निज भक्त, विघ्नों के विनाशन में ||
महा अन्धेरे में सोते, निरख लो अपने भक्तों को। 
उठाकर आप अब जल्दी, लिवा लाओ प्रकासन में ||

वादा ना तोड़
वादा ना तोड़

मणिधारी बोल - २, तेरे कर्म करेंगे प्यारे 
कर्मों को तोड़ मणिधारी बोल …
करता क्यों तेरी मेरी, कुछ ना रहेगा
माया को छोड़ यही पे, जाना पड़ेगा - २