अजमेर का एक सितारा, चमका था आकाशों में 2
जैन संघ का बना था नायक, देखा सारे भक्तों ने ॥ध्रुव।।
था वो मसीहा इस दुनिया का, कोई कैसे भुलायेगा,
हरपल हर घड़ी इस मूरत को, इन नैनों में बसायेगा,
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नन्हा सा फूल हूँ मैं
चरणों की धूल हूँ मैं
आया हूँ मैं तो तेरे द्वार,
प्रभुजी मेरी पूजा करो स्वीकार
अंगुली पकड़ मेरी, चलना सिखाता है,
चलना सिखाता है, चलना सिखाता है...
कभी तो ये दादा, मांझी बन जाता है,
कभी तो ये दादा, साथी बन जाता है...
ऐ मेरे दादा गुरु, दुनियाँ के दाता गुरु,
तुम मेरे भगवान...
अपने गुरु का प्यार ले, भक्ति का उपहार ले,
कर गये कल्याण-2... तुम... ऐ... ||ध्रुव||
गाओ गाओ बधाई, सब मिलकर गाओ
पार्श्वनाथ की बधाई, सब मिलकर गाओ
शिरणाई सिर नौपद बाजे
घनन घनन घन बाजे -2
प्रभु तुम दर्शन जो पाऊँ
प्रभु तुम दर्शन जो पाऊँ, जिणंद नयनो में समा जाऊँ
रांखुं अपने हृदय कमल में, पलक विसराऊँ
जो प्रभु मेरे तुम बनो चंदन, में पानी बन जाऊँ 2
आये है आये हैं आज हम आये
दादा गुरु दरबार में हो ऽऽऽ
आये हैं...
सच्ची हैं ये प्रीत मेरी कच्ची नही
दादा का दरबार
कुशल कुशल दातार हैं, भक्तों का आधार हैं
कोई निराश न जाये एैसा, दादा का दरबार हैं ॥1॥
कुशल सूरि गुरुदेव आपकी, कीर्ति नग विख्यात हैं
दर पे कोई आके, पुकारे दादा नाम
उसके सारे बन जाते है बिगड़े काम
नाम रटो दादा का, नही लागे दाम
जिसने इन्हे ध्याया पाया है विसराम
तुम सदा नाभि नन्दन को भजते रहो
क्योंकि मुक्ति का मारग मिलेगा नही
तुम सदा भक्ति सरगम के माते रहो
क्योंकि आतम को आनन्द मिलेगा नही. . .तुम