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भजन

मैली चादर ओढ़ के कैसे, द्वार तुम्हारे आऊ 
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊ 
तु ने मुझको जग में भेजा, निर्मल देकर काया 
आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया 

जिनराया मेरे मन भाया

जिनराया मेरे मन भाया 
तुझ दिन कोई न दिल आया हो   
तू भव दुःख को हरता है 
मोक्ष का मालिक कर्ता है 

 

नही सुमिरन करे, नही ध्यान लगाये

नही सुमिरन करे, नही ध्यान लगायें 
प्रभू कैसे पार लगाये 
रे भज मन विर प्रभू के, सुमिरन विर प्रभू के 2 
शुद्ध मन से कभी न नीज को ध्यासा 

जब मन विर गाये

जब मन विर गाये मन का अंधेरा जाये 
ज्ञान का प्रकाश पाये, जागो हे मेरे मन महावीर स्वामी 
जागो रे जागो रे जागो दुनिया जागो 2. 
मगर नगर सब सथ मलियाँ जागी 

पंछी उड जायेगा.

पंछी उड जायेगा होते ही भोर 
पल में कट जायेंगी सांसों की ये डोर 
अवसर के रहते ही चाहे कुछ भी सीख 
तुझको जग जाना है निंदयों को झकझोर 

कदम कदम पर मोहे करम सताये

कदम कदम पर मोहे करम सताये
करम सताये हमें चैन न आय ...
इक तो प्रभुजी मोहे कर्म सतायें, लाख चोरासी भ्रमण कराये 
भ्रमण कराये स्वामी बड़ा तड़फाये रे ...

 

मन की लगन अब यहाँ

मन को लगन अब यहाँ 
जायेगा अब तू कहा 
मन में बसाले, दिल में छुपाले 
प्रभु की मूरत यहां 

 

महावीर जी के दर पे

आ आ आ
रे प्राणी आ...... आ...... आ 
महावीर जी के दर पे आके हो   2 
महावीर जी के गुण गा........  गा..... 

आके दर्श दिखाओ

सुनो सुनो मेरे महावीर स्वामीजी तुम आओजी
आके दर्श दिखाओ दिखाओजी, आओजी 
स्वामी मेरे महावीर स्वामी 
तुम्हारे बीना खाली जिंदगी का पिंजरा 

उठ जा ओ सोये मानव

उठा जा ओ सोये  मानव उठ जा 
कौन है ठिकाना जीवन का 
फल में यहां से चला जायेगा 
हवा में क्यों उड़ जाय तिनका