<\/strong>\'तत्वार्थ सूत्र\' जैनधर्म का महान् एवं सर्वमान्य शास्त्र है। इसका<\/span>
अध्ययन-मनन-चिन्तन करते हुए सुज्ञ श्रावक मुक्ति अर्थात्<\/span>
आत्म-कल्याण के मार्ग को बड़ी सहजता से जान सकता है। यही<\/span>
कारण है कि जैनधर्म की दोनों प्रमुख श्वेताम्बर और दिगम्बर<\/span>
परम्पराओं में इस सूत्र की स्वाध्याय का विशिष्ट महत्त्व है। यह सूत्र<\/span>
जैनधर्म और दर्शन का पूर्ण परिचय और व्याख्या है। इस पुस्तक में<\/span>
में<\/span>
बड़ी सरल भाषा में रंगीन भावानुसारी चित्रों एवं सरल चार्टों के माध्यम<\/span>
से दिये गये गूढ गम्भीर विषयों को आसानी से समझाया है। तत्त्वार्थ<\/span>
सूत्र पर इस प्रकार का रंगीन चित्रमय प्रकाशन जैन साहित्य में प्रथम<\/span>
प्रयास है।<\/span>
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