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चारो तरफ बस दुख पीड़ा है, कोई हरे न पीर...(2)
सिसक रहा कोई,तड़प रहा है,बहता जाए नीर
आने वाले कल की देखके धुंधली ये तस्वीर
वर्तमान ये पूछे तुमसे, हो कहा महावीर
अरिहंतों को नमो नमः
सिद्धों को नमो नमः
आचार्यों को नमो नमः
उपाध्याय को नमो नमः
मेरी बातें क्यों न सुने तूं , ये है मेरा सवाल
तेरी बातें क्यों न मैं मानूं , ये है तेरा सवाल रे
क्या मैं बोलूं तूं ही संभाल
तेरी बात का मरम न समझूं
જનમ જનમનો માંગું સાથ
આદિનાથથી અનાદિનાથ
સિદ્ધગિરિથી સિદ્ધશિલા પર જાવું છે
નમો સિદ્ધાણં નમો સિદ્ધાણં ગાવું છે
बनवा अणगार करवा भवपार...
बनवा अणगार करवा भवपार..
तोड्यो जेणे संसारनो बंधन
वैरागी ने वंदन, वैरागी ने वंदन...(2)
वैरागी ने वंदन, वैरागी ने वंदन...(2)
ओ मेरे गुरु अफ़सोस नहीं, जो तेरे लिए १०० दर्द सहे
मेह्फूस रहे तेरी जान सदा, चाहे जान मेरी यह रहे न रहे
ओ मेरे गुरु सबकुछ मेरे, मेरी नस नस में नवकार बहे
फीका न पड़े यह धर्म मेरा, जिस्मो से निकल के खून कहे