पार्श्वनाथ भगवान की, मूरत चित बसाए ॥
भैरव चालीसा लिखू, गाता मन हरसाए ॥
नाकोडा भैरव सुखकारी, गुण गाये ये दुनिया सारी ॥
भैरव की महिमा अति भारी, भैरव नाम जपे नर नारी ॥
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श्री संखेश्वर के दर्शन कर पुजू गोडीजी पाय |
श्री नाकोडा से नवनिधि मिले दर्शन से दुःख जाये ||1||
श्री नाकोडा भैरव सुखदायक सुमरू तारु नाम |
जीवन सुखी कर्जो आप सिद्धि समृधि ना नाम ||2||
हे प्रभु हे प्रभु, खुब चाहुं तने...(2)
आप दुरे रहो, ऐ न फावे मने...(2)
आंख श्यामल प्रभु, ने गुलाबी गाल छे...(2)
आभमां वादळा, एटलुं व्हाल छे
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम। उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम....
तेरे जैसा वीर कहा
कहा ऐसा महावीर
याद करे हैं दुनिया
प्रभु सबसे प्यारा....
श्री श्रमणसंघस्य शांतिर्भवतु
श्री जनपदानां शांतिर्भवतु
श्री राजाधिपानां शांतिर्भवतु
श्री राजसन्निवेशानां शांतिर्भवतु
चारो तरफ बस दुख पीड़ा है, कोई हरे न पीर...(2)
सिसक रहा कोई,तड़प रहा है,बहता जाए नीर
आने वाले कल की देखके धुंधली ये तस्वीर
वर्तमान ये पूछे तुमसे, हो कहा महावीर
अरिहंतों को नमो नमः
सिद्धों को नमो नमः
आचार्यों को नमो नमः
उपाध्याय को नमो नमः
मेरी बातें क्यों न सुने तूं , ये है मेरा सवाल
तेरी बातें क्यों न मैं मानूं , ये है तेरा सवाल रे
क्या मैं बोलूं तूं ही संभाल
तेरी बात का मरम न समझूं