नाकोड़ा भैरूजी की चमत्कारी स्तुति

श्री संखेश्वर के दर्शन कर पुजू गोडीजी पाय |
श्री नाकोडा से नवनिधि मिले दर्शन से दुःख जाये  ||  1  ||
      
श्री नाकोडा भैरव सुखदायक सुमरू तारु नाम |
जीवन सुखी कर्जो आप सिद्धि समृधि ना नाम   ||  2  ||
अनेक मुसीबतों से लिप्त आया हूँ तेरे दर |
बगैर सहारा लिए नहीं जा सकता अपने घर ||  3  ||
तेरा सहारा जिसने हर काम मैं ले लिया है |
उसका जीवन अनेक संकटों से दूर हो गया है ||  4  || 
देव नित्य मांगता हु भीख तेरे  दिव्य दर्शनों की |
एक बार तू दिखादे सूरत तेरे भव्य मुखड़े की  ||  5  ||
तेरे पास आने पर हर मुसीबत भाग जाती है |
तेरे द्वार चड़ने पर हर राह नज़र आती है  ||  6  ||
नाकोडा भैरव का जिस घर मैं नाम लिया जाता है |
सवेरे उठते ही उसका हर काम बन जाता है  ||  7  || 
 
जिस घर मैं नहीं हो पाती काफी समय से संतान |
आपकी भक्ति के प्रभाव से उसे हो जता है गर्भाधान  ||  8  ||
जो रोगी बहुत दिनों से भोगता है अदिख दुःख |
तेरे दर्शन करने से मिल जावे सर्व सुख   ||  9  || 
असाध्य रोगियों ने भी तेरे दरबार मैं सुख को पाया है |
दुखियो के दुःख हरने मैं तू सबके सही आया है  || 10 ||
दुखी जिंदगियो मैं सुख भरने के लिए तू है प्रसिद्ध  |
तेरु मानता से सभी   जीव बन जाते है पुरे समृद्ध  || 11 ||
तेरे पांवो मैं पड जाने से सभी पाप दूर हो जाते है  | 
तेरे दिव्य प्रभाव से अनेक कष्ट भाग जाते है  || 12 ||
तू  जैसा दयालु रहता है अपने सभी भक्तो पर |
वैसे ही दया रखना भैरवनाथ मुझ यतीम पर  || 13 ||
तू  अखंड भक्ति का है वृहत परोपकारी  भंडार | 
अपने हज़ारो भक्तो से करता है एक सा प्यार || 14 ||
अपने सभी भक्तो पर तू करता एकसी नज़र  |
हर भक्त पर तेरा चेहरा करता है पूरा असर  || १५ ||
तेरी सुकृपा से उसका हो जाये जल्दी बेडा पार |
तेरी शुभ द्रुष्टि से दरिद्र भी हो जाता है साहूकार || १६ ||
हर दुःख को काटने मैं तू देव है पूरा समर्थ |
तेरे चरणों मैं आकर भक्त साधता है स्वार्थ  || १७ ||
तेरा नाम सुनकर दुखी जन भी सुखी हो जावे |
तेरे कदमो मैं गिरने से मेरे मनोरथ पूर्ण हो जावे || १८ ||
जिसका मनोबल आपके प्रति है बहुत मजबूत |
उसका शत्रु पक्ष भी क्या बिगाड़ सकता है हुजुर || १९ ||
हुजुर आप है नाकोडा तीर्थ के रक्षक  |
हर यात्री आपके दरबार मैं होता है नत मस्तक || २० ||
आप  जैसे दयालु के संपूर्ण सानिध्य मैं आकर |
हर जिव सुखी हो जाता है आपके दर्शन पाकर || २१ ||
नाकोडा तीर्थ भूमि पर जो एक बार आ जाता है |
अनेक विपदाओं से वह भय मुक्त हो जाता है || २२ || 
वार्षिक मेले मैं जो आपके करता है  प्रभु दर्शन |
उसका घर संसार बन जाता है सुख का दर्शन || २३ ||
जो सुन्दर भोग लगाता है आपको शादी विवाह पर |
उसके अनेक दुःख दूर हो जाते है राह पर || २४ ||
गर्भधान की इच्छा से जो करता है आपके दर्शन |
उसी वर्ष उसे मिल जाता है सुभाशिर्वाद वचन || २५ ||
हर निराशावादी को आशा दिखाई देती है आपमें |
क्या ही अच्छा हो जाए आप दिखाई दे प्रत्यक्ष मैं || २६ ||
धन हिन् हो मिलता है द्रव्य आपके ही प्रभाव से |
आपार संपत्ति को प्राप्त करता है आपके ही प्यार से || २७ ||
हर भक्त के आप दयालु से रहते है मालिक |
ऐसा स्नेह किसी अन्य से नहीं मिल सकता मालिक || २८ ||
राजा से लेकर रंक तक होता है दर्शन का इच्छुक |
आपके सुन्दर मुखड़े को देखकर सुख हो जाता भावुक || २९ ||
जब से ही हम तेरे निकट आये है प्रति पालक |
अन्य दर्शनी भी तेरे चमत्कार को विरादते मालक || ३० ||
सभी वर्ग के धर्म को लगा रहता है जमघट |
प्रसन्न हो कर जाते है तेरे द्वार से हर वक़्त ||  ३१ || 
जो आनंद नाकोडा भैरव हम तेरे मैं पाते है |
अन्य किसी देव मैं नहीं मिलता जहा भी हम जाते है || ३२ ||
धैर्य प्रसन्नता और मुस्कराहट वाला चेहरा |
देखकर झूम उठता है हर भक्त को चेहरा || ३३ || 
आनंद विभोर होकर आते है तेरे दर्शन को |
सुख और समृधि दिलाओ देव अपने सभी भक्तो को || ३४ ||
आनंद छा गया है आज तेरे सुप्रसिद्ध नाम का |
हर घर मैं उजाला छा गया है तेरे दिव्य प्रकाश का || ३५ ||
तेरी उज्जवल ज्योति का हम करते है प्रेम से दर्शन |
देव दिला दो हमें अपने बाकी रहे मनोरथ फल || 36 ||
व्यापार मेरा सदा एक सा बना रहे हर दम |
इसी आशा से झुकते है आपके चरणों मैं हम || ३७ ||
हर व्यापार ऊँचा उठे और कमाई भी देवे खूब |
मैं आपकी सेवा मैं रहू और धन कमाऊ अखूट || ३८ ||
सदा आपका स्मरण एक सा करू गरीब नवाज़ |
अन्य हज़ारो को भी बता दू आपके दर्शन का रिवाज || ३९ ||
हजारो अनाथ सनाथ बन गए करीब आने से  |
दुखियो के दर्द मिट जाते है  आपके खुला द्वार पाने से || ४० ||
श्री नाकोडा तीर्थ की मरुभूमि कितनी है सुपवित्र |
जहा हज़ारो यात्री आपकी भक्ति मैं बजाते है वाजित्र  || ४१ ||
कितनी ही विपदाओ से घिरा हुआ क्यों न हो आये द्वार |
सबको एक सा मिलता है वहा आपका प्यार || ४२ ||
जिस धरती पर मैंने आपके दर्शन को पाया है |
उसी धरती पर  लाखो ने अपने दुखो को भुलाया है || ४३ ||
सदा आपका देखा गया है एक सा चमत्कार  |
आकर्षित करता है भक्तो को आपके मुखड़े का पार || ४४ ||
आपके दर्शन करके अपने आपको धन्य मानूंगा |
उस दिन हकीकत मैं बदनसीबी को भगा पाउँगा || ४५ ||
नव्गाराहो की पीड़ा भी तेरे नाम से मिट जाती |
अन्य कई उपग्रही की भी शिग्र ही शांति हो जाती || ४६ ||
हर दर्दी जब तेरी शरण घ्रहण कर लेता है |
सभी कष्टों से छुट्टी पाकर तेरी शरण मैं समां जाता है || ४७ ||
अनेक दुखियो ने अपने दुखो को मिनटों मैं भुलाया है |
तेरी प्यारी याद को ह्रदय मैं समावेश कराया है ||  ४८  ||
तुझे नहीं भूल सकता इस जीवन मैं मेरे प्राणनाथ |
जन्मो जनम मैं मिलता रे सदा आपका एक सा ही साथ || ४९ ||
सदा अच्छा बना रहू ऐसी आशा करता हु दयालु देव |
क्या मैं आर भी अधिक सुखी बन सकूँगा कृपालु देव || 50 ||

शरण मैं आये बाद शंका नहीं हो सकती लवलेश |
आपके दर्शन करने से मुझे होजाता है प्रेम विशेष || 51 ||
हर प्रभात उज्वल हो और संध्या भी वैसी ही चाहिए |
नाकोडा के प्रभाव से मेरा जीवन शुद्ध हो जाना चाहिए || 52||
नित्य जपता रहू मैं तेरे मूल मंत्र की पांच माला |
मेरी अखंड साधना का जीवन मैं हो जावे उजाला || 53   ||
उज्वल भविष की हर आत्मा चिंता किया करती है |
आपके दर्शन से मुझे तो चिंता से मुक्ति मिल जाती है ||  54 ||
भैरव शक्ति यन्त्र के दर्शन से मुझे हो जाता खुमार |
तेरी शरण मैं कही भी पड़ा रहू दे दो ऐसा प्यार || 55  ||
क्या इतना हत भागी हु की तेरे दर्शन नहीं पा सकता |
सभी दोष क्षमा मिट गए है जीवन मैं दूर व्यावहार का || 56 ||
हर रोगी और भोगी तुझे एक से ही स्वार्थ से ध्याते है|
 सभी अपने अपने कार्यो मैं सफलता को पाते है || 57 || 
केवल मैं ही रहा हु जिसकी अभी तक नहीं बना काम |
अब तो देव कृपा कर दो सो शीघ्र हो जावे शुभ काम || 58  ||
विपदाओं मैं फंस कर भी तुझे नहीं भूल सकता हु |
तेरे नाम का जाप जपना तो मैं नहीं छोड़ सकता हु || 59  ||
चाहे कितनी ही विपत्ति क्यों न आने पड़े मुझ पर |
तेरे ध्यान नहीं छोड़ सकता मैं एक पल भर || 60 ||
चाहे मुसीबत का सागर उमड़ पड़े सर पर |
तेरे ध्यान नहीं भूल सकता मैं एक क्षण भर || 61 ||
लाखो भक्त सब तेरे दरबार मैं सुखी हो जाते है |
तो मुझसा क्यों न उसी स्थान से सुखी हो पावेगा || 62 ||
मुझे देव इसमें शंका लवलेश मात्र भी नहीं रही |
की आपके चरण चुने वाला भी कभी दुखी रहा || 63 ||
जो स्त्री आपका ध्यान धरती नित्य प्रातः उठ कर|
वह कभी बाँझ नहीं रह सकती जीवन भर || 64 ||
अनेक संकतो से उसका जीवन पार उतर जावेगा |
नाकोडा पार्श्वनाथ का नाम लेनेवाला मुक्ति को पावेगा || 65 ||
जो विद्यार्थी लेगा आपका सोते उठते शुभ नाम |
वह आचे अंको मैं पास होगा इसमें शंका न जान || 66 ||
कोर्ट कचेरी वाला भी मुझे क्यों छोड़ पावेगा दयालु |
हारा हुआ कैस जित जायेगा आपकी भक्ति से कृपालु ||  67 ||